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आधुनिक आवर्त सारणी और तत्त्वों का इलेक्ट्रॉन संरूपण (Modern periodic table and electronic configuration of elements)

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 आधुनिक आवर्त सारणी और तत्त्वों का इलेक्ट्रॉन संरूपण (Modern periodic table and electronic configuration of elements) एक ही आवर्त में नजदीक पाए जानेवाले तत्त्वों के गुणधर्मों में थोड़ा सा अंतर होता है, परंतु अधिक दूर स्थित तत्त्वों के गुणधर्मों में अधिक अंतर पाया जाता है । एक ही समूह के सभी तत्त्वों के रासायनिक गुणधर्मों में समानता तथा श्रेणीबद्धता (Gradation) दिखाई देती है । आधुनिक आवर्त सारणी के समूह तथा आवर्तों की ये विशेषताएँ तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक संरूपण के कारण हैं । किसी तत्त्व को आधुनिक आवर्त सारणी में किस समूह या आवर्त मे रखना है यह उसके इलेक्ट्रॉन संरूपण के आधार से स्पष्ट होता है । आधुनिक आवर्त सारणी में....  1. सभी तत्त्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के आरोही क्रम मे रखा गया ।  2. ऊर्ध्वाघर स्तंभों को समूह कहते हैंकुल 18 समूह हैं एक ही समूह के सभी तत्त्वों के रासायनिक गुणधर्मों में समानता तथा श्रेणीबद्धता दिखाई देती है ।  3. क्षैतिज पंक्तियों को आवर्तकहते हैंकुल 7 आवर्त हैं किसी आवर्त में एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने पर तत्त्वों के गुणधर्मों मे क्रमशः परिवर्तन होता है  समूह

उपग्रह प्रक्षेपक (Satellite Launch Vehicles)

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                      उपग्रह प्रक्षेपक (Satellite Launch Vehicles) उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपकाें (Satellite Launch Vehicles) का उपयोग किया जाता है । उपग्रह प्रक्षेपक का कार्य न्यूटन के गतिविषयक तीसरे नियम पर आधारित है । प्रक्षेपक में विशिष्ट प्रकार के ईंधन का उपयोग करते हैं । इस ईंधन के ज्वलन से निर्माण होनेवाली गैसें गर्म होने के कारण प्रसारित होती है और प्रक्षेपक की पूँछ की ओर से प्रचंड वेग से बाहर निकलती हैं । इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप प्रक्षेपक पर एक ‘धक्का’ (Thrust) कार्यकरता है । प्रक्षेपक पर लगनेवाले धक्केके कारण प्रक्षेपक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होता है । उपग्रह का भार कितना है और वह कितनी ऊँचाई पर स्थित कक्षा में प्रस्थापित करना है इसके अनुसार प्रक्षेपक की रूपरेखा निश्चित की जाती है । प्रक्षेपक को लगनेवाला ईंधन भी इसी आधार पर निश्चित किया जाता है । वास्तव में प्रक्षेपक में ईंधन का ही भार बहुत अधिक होता है । अतः प्रक्षेपक को प्रक्षेपित करते समय उसके साथ ईंधन के बहुत अधिक भार को भी वहन करना पड़ता है । अतः इसके लिए खंडों में बने हुए