पानी का असंगत व्यवहार (Anomalous behaviour of water )
पानी का असंगत व्यवहार (Anomalous behaviour of water )
सामान्यतः द्रव को सीमित तापमान तक गर्मकरने पर उनका प्रसरण होता है तथा ठंड़ा करने से उनका संकुचन होता
है। परंतु पानी विशिष्ट तथा अपवादात्मक व्यवहार दर्शाता है। 0०
C तापमान के पानी को गर्मकरने पर 4०
C तापमान होने
तक पानी का प्रसरण न होकर संकुचन होता है । 4०
C पर पानी का आयतन सबसे कम होता है और 4०
C से अधिक
तापमान में वृदि्ध करने पर पानी का आयतन बढ़ता जाता है । 0०
C से 4 ०C इस तापमान के बीच होनेवाले पानी के इस
व्यवहार को ‘पानी का असंगत व्यवहार’ कहते है ।
1 kg द्रव्यमान के पानी को 0०
C से ऊष्मा देकर तापमान तथा आयतन नोट करके आलेख बनाने पर, संलग्न
अाकृति में दर्शाएनुसार वह वक्र होगा । इस वक्र आलेख से यह स्पष्ट होता है की 0 ०C से 4 ०C तक पानी का तापमान
बढ़ने से उसका आयतन बढ़ने के बजाए कम होता है । 4 ०C पर पानी का आयतन सबसे कम होता है अर्थात पानी का
घनत्व 4 ०C पर सबसे अधिक होता है । (देखिए 5.4)
होप के उपकरण की सहायता से पानी के असंगत व्यवहार का अध्ययन करना ।
पानी के असंगत व्यवहार का अध्ययन होप के
उपकरण की सहायता से करते हैं । होप के उपकरण
में धातु के ऊँचे पात्र में बीचों-बीच एक फैला हुआ
गोलाकार पात्र जुड़ा होता है । ऊँचे पात्र में गोलाकार
फैले हुए पात्र के ऊपर T2
और नीचे T1
तापमापी
जोड़ने की सुविधा होती है । ऊँचे पात्र में पानी भरा
जाता है तो फैले हुए पात्र में बर्फ और नमक का
मिश्रण भरा जाता है । (देखिए आकृति 5.5)
होप के उपकरण की सहायता से पानी के
असंगत व्यवहार का अध्ययन करते समय हर 30 सेकड़ं के बाद T1
तथा T
2
तापमापी से दर्शाए तापमान को नोट किया
जाता है ।
तापमान Y-अक्षपर और समय X – अक्ष पर लेकर आलेख बनाते है । आकृति 5.6 आलेख से यह स्पष्ट होता है
कि आरंभ में दोनों तापमापी समान तापमान दर्शाते हैं । परंतु इसके पश्चात नीचे के तापमापी (T1
) का तापमान तीव्र गति
से कम होता है । (T2
) का तापमान तुलना में धीरे-धीरे कम होता है ।
ऊँचे पात्र के निचले भाग के पानी का तापमान T
1
4०
C तक पहुँचते ही वह कुछ समय के लिए करीब करीब स्थिर
रहता है । और ऊपर के भाग के पानी का तापमान T2 धीरे धीरे 4 ०
C तक कम होता है । इस कारण एक ही समय में T
1
तथा T
2
4 ०
C तापमान दर्शाते हैं । इसके पश्चात मात्र T
2
का तापमान तीव्र गति से कम होने के कारण ऊपर का तापमापी
T
2
प्रथम 0 ०C तापमान दिखाता है तत्पश्चात नीचे का तापमापी T
1
0 ०C तापमान दर्शाता है । आलेख पर दोनों वक्रो का
प्रतिछेदन बिंदु महत्तम घनत्व का तापमान दर्शाता है ।
प्रारंभ में ऊँचे पात्र के मध्यभाग के पानी का तापमान
उसके आसपास के हिम मिश्रण के कारण कम होता
है । उस पात्र के मध्यभाग के पानी का तापमान कम हो जाने
के कारण उस का घनत्व बढ़ता है । परिणामस्वरूप अधिक
घनत्व वाला पानी नीचे जाता है । इस कारण नीचे वाले भाग
के पानी का तापमान (T1
) प्रारंभ में तीव्र गति से कम होता
है । इस पात्र के नीचले भाग का तापमान जब 4०
C होता है
तब उस पानी का घनत्व महत्तम होता है । पात्र के मध्यभाग
के पानी का तापमान 4०
C की अपेक्षा कम होता है तब उसका
प्रसरण होता है । अतः उसका घनत्व कम होता है और वह
तल की ओर न जाते हुए ऊपरी भाग की ओर जाने लगता है ।
इस कारण ऊपर के भाग के पानी का तापमान (T2 ) तीव्र गति
से कम होता है । वह क्रम से 0०
C तक कम होता रहता है,
परंतु तल के पानी का तापमान 4०
C पर कुछ समय तक स्थिर
रहता है और बाद में वह 0०
C तक कम होता है ।
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