रविवार, 8 अगस्त 2021

SLUGTERRA ALL EPISODE IN HINDI DUBBED WATCH ONLINE

 SLUGTERRA ALL EPISODE IN HINDI DUBBED

Slugterra episode 1 in Hindi


 Slugterra episode 2 in Hindi



Slugterra episode 3 in Hindi


Slugterra episode 4 in Hindi


Slugterra episode 5 in Hindi


Slugterra episode 6 in Hindi





Slugterra episode 7 in Hindi





शनिवार, 1 मई 2021

Types of utility

 Types of  utility 

1) Form utility 

     When utility is created due to a change in the shape or structure of existing material , it is called form utility . for example , toys made of clay , furniture from wood etc .

2) Place utility 

     When utility of a commodity  increases due to change in its place  , it is called place utility . for example , Woollen  clothes have more  utility at cold places than at warm places. Transport creates place utility .

3) Service utility 

    Service utility arises when personal services are rendered by various professionals . for example service of doctors , teachers , lawyers etc .

4) Knowledge utility 

      When a consumer acquires knowledge about a particular product , it is called  knowledge utility . for example , utility of a mobile phone or a computer increases when a person knows about its various functions .

5) possession utility 

     possession utility arises when the ownership of goods is transferred from one person to another . for example transfer of goods from the sellers to the buyers .

6) Time utility 

    when the utility of a commodity increases with a change in its time of utilization , it is called time utility . for example , a student has more utility for text book during examinations than in the vacation . Time utility is also observed when goods are stored  and used at the time of scarcity . for example Blood bank . 


 

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

Micro and macro economics

Micro economics

 Micro means a small part of a thing. micro economics thus deals with a small part of the national economy. It studies the economic actions and behaviour of individual units such as an individual consumer, individual producer or a firm etc.

Macro economics

Macro economics is  the branch of economics which analyses the entire economy. It deals with the total employment, national income, total consumption, total savings, general price level interest rates , inflation, trade cycles, business fluctuations etc. thus, macro economics is the study of aggregates.


बुधवार, 14 अप्रैल 2021

Law of Demand


Introduction 

The law of demand was introduced by prof. Alfred Marshall in his book ,'principles of economics' which was published in 1890. The law explains the functional relationship between price and quantity demanded.
  

Statement of the law

According to prof. Alfred Marshall , " Other thing being constant , higher the price of a commodity , smaller is the  quantity demanded and lower  the price of  a commodity ,  larger is the quantity demanded "
  


Demand curve
Demand curve



मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

विद्युत ऊर्जा की निर्मिती (Generation of electrical energy)

     अनेक विद्युत निर्मिती केन्द्रो में विद्युत ऊर्जा तैयार करने के लिए मायकेल फैराड़े इस वैज्ञानिक द्वारा खोजे गए विद्युत-चुंबकीय प्रेरण (Electro-magnetic induction) इस सिद्धांत का उपयोग किया जाता है । इस सिद्धांत के अनुसार विद्युत वाहक तार के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र बदलने पर विद्युत वाहक तार में विभवांतर का निर्माण होता है।

     विद्युत वाहक तार के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र दो प्रकार से बदल जा सकता है । विद्युत वाहक तार स्थिर हो और चुंबक घूमता रहे तो विद्युत वाहक तार के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र बदल जाता है या चुंबक स्थिर हो और विद्युत वाहक तार घूमती हो तो भी विद्युतवाहक तार के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र बदल जाता है, अर्थात इन दोनों ही तरीकों से विद्युत वाहक तार में विभवांतर का निर्माण हो सकता है । (आकृति  देखिए) इस सिद्धांत पर आधारित विद्युत निर्मिती करनेवाले यंत्र को विद्युत जनित्र (electric generator) कहते हैं ।

    विद्युत निर्मिती केन्द्रों में इस प्रकार के बड़े जनित्रों का उपयोग किया जाता है । जनित्र के चुंबक को घूमाने के लिए टर्बाइन (Turbine) का उपयोग करते हैं । टर्बाइन में पातें (Blades) होते हैं । टर्बाइन के इन पातों पर द्रव या वायु प्रवाहित करने पर गतिज ऊर्जा के कारण टर्बाइन के पाते (Blades) घूमने लगते है । (आकृति 5.2 देखिए) ये टर्बाइन विद्युत जनित्र से जुड़े होते हैं । अत: जनित्र का चुंबक घूमने लगता है और विद्युत निर्मित होती है । (आकृति  ) । 

   विद्युत ऊर्जा निर्मिती की यह पद्धती आगे दी गई प्रवाह आकृती (5.4) द्वारा दर्शाई जा सकती है । अर्थात विद्युत चुंबकीय प्रेरण इस सिद्धांत पर विद्युत निर्मिती करने के लिए जनित्र की आवश्यकता होती है, जनित्र घूमाने के लिए टर्बाइन की आवश्यकता होती है और टर्बाइन घूमाने के लिए एक ऊर्जास्रोत का उपयोग होता है उसके अनुसार विद्युत निर्मिती केन्द्रों के अलग-अलग प्रकार हैं । प्रत्येक प्रकार में उपयोग में लाए जानेवाले टर्बाइन की रूपरेखा भी अलग-अलग होती है ।

टर्बाइन घूमाने के लिए सुयोग्य उर्जा-स्रोत ➝ टर्बाइन ➝ जनित ➝ विद्युत ऊर

उष्मीय-उर्जा पर आधारित विद्युतउर्जानिर्मिती केन्द

     इसमें वाष्प पर चलने वाले टर्बाइन का उपयोग किया जाता है । कोयले के ज्वलन से उत्पन्न ऊष्मीय ऊर्जा का उपयोग बॉयलर में पानी गरम करने के लिए किया जाता है । इस पानी का रुपांतरण उच्च तापमान और उच्चदाबवाली वाष्प में होता है । इस वाष्प की शक्ति से टर्बाइन घूमता है, जिससे टर्बाइन से जुड़ा हुआ जनित्र घूमकर विद्युत निर्मित होती है । इसी वाष्प का रूपांतरण पुन: पानी में करके वह वापस बॉयलर में भेजा जाता हैं । यह रचना निम्नलिखित आकृति (1.1) से दर्शाई गई है ।

ईंधन कोयला पानी के वाष्प बनाने लरके लिए बॉय➝ वाष्पपर चलनेवाला टर्बाइन  जनितविद्युत ऊर

                           ↑                                                                   

                          वाष्प का रूपांतरण पुनः पानी में करनेवाली यंत्ररचना       

 आकृति  1.1  उष्मीय-उर्जा पर आधारित विद्युत-ऊर्जानिर्मिती : प्रवाह आकृत


रविवार, 24 जनवरी 2021

उत्क्रांती (Evolution)

       उत्क्रांती अर्थात सजीवोंं में अत्यंत धीमी गति से होनेवाला क्रमिक परिवर्तन है । यह प्रक्रिया अत्यंत धीमी एवं सजीवोंं का विकास साध्य करनेवाली प्रक्रिया है । अंतरिक्ष के ग्रह-तारों से लेकर पृथ्वी पर विद्यमान सजीव सृष्टी में होनेवाले परिवर्तन के अनेक चरणों का विचार उत्क्रांती अध्ययन में करना आवश्यक है ।

     प्राकृतिक चयन की अनुक्रिया के लिए सजीवोंं के किसी एक वर्ग (जाति) के विशिष्ट लक्षणों में अनेक पीढ़ियों तक परिवर्तन होने की जिस प्रक्रिया द्वारा अंत में नई प्रजातियों का निर्माण होता है, उस प्रक्रिया को उत्क्रांती कहते है।



   करीब-करीब साड़े तीन अरब वर्षपूर्व (350 करोड़़ वर्षपूर्व) पृथ्वी पर किसी भी प्रकार के सजीवोंं का अस्तित्व नहींं था । प्रारंभ में अत्यंत सरल-सरल तत्त्व रहे होंगेंऔर उनसे जैविक तथा अजैविक प्रकार के सरल-सरल यौगिक बने होंगे । उनसे धीरे-धीरे जटिल जैविक यौगिक जैसे प्रथिन और केन्द्रकाम्ल निर्मित हुए होंगे । ऐसे अलग-अलग प्रकार के जैविक और अजैविक पदार्थों के मिश्रण से मूल स्वरुप के प्राचीन कोशिकाओं का निर्माण हुआ होगा । प्रारंभ में आसपास के रसायनों का भक्षण कर उनकी संख्या में वृद्‌धि हुई होगी । कोशिकाओं में थोड़ा़ बहुत अंतर होगा तथा प्राकृतिक चयन के सिद्धांतानुसार कुछ की अच्छी वृद्‌धि हुई होगी तो जो सजीव आसपास की परिस्थिती के साथ समायोजन स्थापित नहींं कर सके उनका विनाश हुआ होगा। 

   आज की तारीख में पृथ्वी तल पर वनस्पतियों एवं प्राणियों की करोड़ो प्रजातियाँ हैं, उनके आकार एवं जटिलता में काफी विविधताएँ हैं । सूक्ष्म एक कोशिकीय अमीबा, पॅरामिशियम से लेकर महाकाय देवमछली तक उनका विस्तार दिखाई देता है । वनस्पती में एककोशिकीय क्लोरेला से विस्तीर्ण बड़े बरगद के पेड़ तक अनेक प्रकार की वनस्पतियों की जातियाँ पृथ्वी पर विद्यमान है । पृथ्वी पर सभी जगह विषुववृत्त रेखा से दोनों ध्रुवों तक सजीवोंं का अस्तित्व दिखाई देता है । हवा, पाणी, जमीन, पत्थर इन सभी जगहों पर सजीव हैं । अतिप्राचीन काल से मानव को इस पृथ्वी पर सजीवोंं का निर्माण कैसे हुआ एवं उनमें इतनी विविधता कहाँ से आई होगी इस विषय में उत्सुकता है । सजीवोंं का उद्गम और विकास से संबंधित विविध उपपत्ती के सिद्धांत अाज तक प्रस्तुत किए गए हैं, इनमें से ‘सजीवोंं की उत्क्रांती अथवा सजीवोंं का क्रमविकास यह सिद्धांत सर्वमान्य हुआ

शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

चंद्र अभियान (Moon missions)

 चंद्र अभियान (Moon missions) 

              चंद्रमा यह हमारे लिए सबसे नजदीकी खगोलीय पिंड होने के कारण सौरमंडल के घटकों की ओर भेजे हुए अभियानों में ये सबसे पहले अंतरिक्ष अभियान है । ऐसे अभियान आज तक सोव्हियत युनियन, अमेरिका, युरोपियन देश, चीन, जपान और भारत ने जारी किए हैं । सोवियत यूनियन ने भेजी हुई लूना श्रृंखला के अंतरिक्ष यान चंद्रमा के नजदीक पहुँचे थे । 1959 में प्रक्षेपित किया गया लूना 2 यह ऐसा ही पहला यान था । इसके पश्चात 1976 तक भेजे गए 15 यानों ने चंद्रमा का रासायनिक विश्लेषण किया और उसके गुरुत्व, घनत्व तथा चंद्रमा से निकलने वाले प्रारणों का मापन किया । अंतिम 4 यानों ने वहाँ के पत्थरों के नमुने पृथ्वी पर स्थित प्रयोगशालाओं में अध्ययन करने के लिए लाए । ये अभियान मानवरहित थे । 

        


       अमेरिका ने भी 1962 से 1972 में चंद्र अभियान जारी किए । उसकी विशेषता यह थी उनके कुछ यानों द्वारा मानव भी चंद्रमा पर उतरे । जुलाई 1969 में नील आर्मस्ट्राँग ये चंद्रमा पर कदम रखनेवाले प्रथम मानव बने । सन्2008 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया और वह यान चंद्रमा की कक्षा में प्रस्थापित किया । इस यान ने पृथ्वी पर एक वर्ष तक जानकारी भेजी । इस अभियान की सबसे महत्वपूर्ण खोज है चंद्रमा पर पानी का अस्तित्व । यह खोज करनेवाला भारत यह पहला देश है ।  

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